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lirik lagu kabir upadhyay – safar – the journey of love

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कैसा सफर है ये इश्क़ का
कैसी है इसकी मंज़िल
तन्हा अकेला क्यों मैं हूं
पूछ रहा है मेरा दिल

इबादत तेरे लिए की थी
चाहत भी तेरे लिए ही थी
सजाके तोड़ दिया वो ख़्वाब
तमन्ना जिसे जीने की थी

कैसा सफर है ये इश्क़ का
कैसी है इसकी मंज़िल
तन्हा अकेला क्यों मैं हूं
पूछ रहा है मेरा दिल
ये सफर बस ये सफर
मेरे इश्क़ का है ये सफर
थम गया किस मोड़ पर
मेरे इश्क़ का है ये सफर

rap

जब मैंने तुझे देखा पहली बार
तुझे देख के दिल मेरा हुआ बेकरार
सोचा कि सब बाते बता दूं
जो भी मेरे दिल में है
वो तुझ तक पहुंचा दूं

था जादू
हां
तेरी आंखों में था कोई जादू
जो मुझे करने लगा था बेकाबू
नींद चैन मेरा सब खोने लगा था
जो हुआ ना था कभी, वैसा होने लगा था

सौ में भी रह के मैं खुद में अलग था
दोस्तों को ये सब लगता गलत था
तेरी तस्वीर को मैं चूमने लगा था
आंखों में तेरा चेहरा घूमने लगा था
तब जाके धीरे धीरे तुझको भी
अब आने लगा था मुझ पे प्यार
फिर शुरू हुई अपनी एक अलग ही दुनिया
जिसको नाम हमने दिया था प्यार

क्या थे वो भी दिन
जो बिताया था हमने साथ में
और खाए थे कसमें वादे
कि संग रहेंगे किसी भी हालात में

कभी आती थी बहुत प्यार
कभी हो जाती थी तकरार
कभी कभी उलझे रहते थे
एक दूसरे कि प्रॉब्लम सुलझाने में
कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता था
की मुझे शरम सी आती है वो बातें बताने में

फिर हुआ वहीं जो होना था
जिसे पाया नहीं उसे खोना था
वक़्त के हाथों मैं था मजबूर
मेरी किस्मत पे आया मुझे रोना था

पर अब क्या करूं जो तू साथ नहीं है
पहले वाली तुझमें वो बात नहीं है
पर हो तुम उतने ही पास
और उतने ही खास
तुझे मैं भूल जाऊं ऐसी बात नहीं है
तू याद ना आए ऐसी रात नहीं है
तेरा नाम को सुन के धड़कता है दिल
तू मान ले तेरे भी जज़्बात यही है

कैसा सफर है ये इश्क़ का
कैसी है इसकी मंज़िल
तन्हा अकेला क्यों मैं हूं
पूछ रहा है मेरा दिल….


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