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lirik lagu sachet tandon, parampara thakur & sachet-parampara – bekhayali reprise

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है ये तड़पन, है ये उलझन
कैसे जी लूँ बिना तेरे
मेरी अब सब से है अनबन
बनते क्यूँ ये खुदा मेरे

ये जो लोग-बाग हैं
जंगल की आग हैं
क्यूँ आग में जलूँ?
ये नाकाम प्यार में
खुश हैं हार में
इन जैसा क्यूँ बनूँ?

बेखयाली में भी तेरा ही ख्याल आये
क्यूँ बिछड़ना है ज़रूरी ये सवाल आये
तेरी नज़दीकियों की ख़ुशी बेहिसाब थी
हिस्से में फासले भी तेरे बेमिसाल आये

रातें देंगी बता
नीदों में तेरी ही बात है
भूलूं कैसे तुझे
तू तो ख्यालों में साथ है

नज़र के आगे हर एक मंजर
रेत की तरह बिखर रहा है
दर्द तुम्हारा बदन में मेरे
ज़हर की तरह उतर रहा है

बेखयाली में भी तेरा ही ख्याल आये
क्यूँ बिछड़ना है ज़रूरी ये सवाल आये

आ ज़माने आज़मा ले रूठता नहीं
फासलों से हौसला ये टूटता नहीं
ना है वो बेवफा और ना मैं हूँ बेवफा
वो मेरी आदतों की तरह छूटता नहीं


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