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lirik lagu rudraksh asv – akela (alone)

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करें कोई ना किसी की परवाह
जीता नहीं तो कोई ना तेरा यहां
लगी होड़ तो इस दौड़ में तू दौड़ ले
अपने को कोसके आखिर मिलेगा क्या?

मैंने सोचा नहीं था, समय यूं बदल जायेगा
मेरा दर्द भी मुझसे ऐसे ना संभल पाएगा
अपने को करूं तैयार, अगली बार मेरी बारी
मेरे बारी में ही टूटना था अमल कायदा।

कभी सोचता हूं छोड़ दू , खत्म करूं भरम
कभी रोकता हूं खुद को, सपनो को करके जतन
मैं मांगता हूं आस, छोटी~छोटी खुशियों की
नहीं बनना greatest , नहीं पाना कोई रतन।

क्या होता है झूठ, क्या होता है सच
अपने से डरूं , जब भी आती समझ
लगे गलत मैं हूं, किस्मत मेरी अलग
किसी काम का नहीं, गया हूं मैं भटक।

जब लोग पूछते, खुद पे आती शर्म
मैं छलनी सा जो, नहीं दिखाता जख्म
बड़ी कोशिशें करूं कि फरक नहीं पड़ता
पर क्या करूंगा, जब आगे हो ना रकम।

क्या करूंगा
क्या करूंगा
जब होगा ना रकम, हां
क्या करूंगा

हुआ मैं अकेला, नहीं दिखता कोई मुझे
हुआ मैं अकेला, कर्म की बातें खले
हुआ मैं अकेला, तब भी ज़िंदा आस है
लड़ते रहेंगे हमेशा, चाहे बढ़े फासले
हुआ मैं अकेला, नहीं दिखता कोई मुझे
हुआ मैं अकेला, कर्म की बातें खले
हुआ मैं अकेला, तब भी ज़िंदा आस है
लड़ते रहेंगे हमेशा, चाहे बढ़े फासले
हुआ मैं अकेला
हूं मैं अकेला

हां, हां

बनना ना बोझ ऐसे, मुझको बनना है बैसाखी
हरदम का दोष, रोष बढ़ता जीवन सादी
ख्वाइश तो थी, कि पा लूंगा मैं भी शागिर्द
लगते गले यहां, तू सफल हो जो आखिर।

रखते जो न कयास, तब भी प्यास भी है
टूटे दुनिया के बीच, यह कैसी त्रासदी है
हम ही तो है वो लोग, डरते आशिकी से
नहीं उम्मीद के गीत, टूटा आदमी मैं।
मेरे अपनो का ढोंग करने वाले fake हैं
मेरे खुशियों पे खुश होने वाले नेक हैं
कहते वादें तो कई, पर कभी नहीं देखते
मेरे जीतने की सोच, इनके फूले फेफड़े।

मुझे तो नहीं दिखाना, औकात किसी को
अपने से मतलब, जज़्बात पे है गौर
अल्फाज़ जो कहूं, उसपे नाज़ है मुझे
मौसम बदलेगा, झेलेंगे, रुद्राक्ष यह कठोर।
हां
this is रुद्राक्ष boy
हां, हां

हुआ मैं अकेला, नहीं दिखता कोई मुझे
हुआ मैं अकेला, कर्म की बातें खले
हुआ मैं अकेला, तब भी ज़िंदा आस है
लड़ते रहेंगे हमेशा, चाहे बढ़े फासले
हुआ मैं अकेला, नहीं दिखता कोई मुझे
हुआ मैं अकेला, कर्म की बातें खले
हुआ मैं अकेला, तब भी ज़िंदा आस है
लड़ते रहेंगे हमेशा, चाहे बढ़े फासले
हुआ मैं अकेला
हूं मैं अकेला

जान, शान रहेगी, तो यह ईमान बढ़ेगा
कर्मों के संग जो चले, तो इल्ज़ाम बढ़ेगा
मेरे दिल की है खवाइश, कि पहचान भी मिले
जीता नहीं, तब भी कोशिशों का मान रहेगा।


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