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lirik lagu ramil ganjoo – khaak

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[“khaak” के बोल]

[intro]
था ख़ाक ख़्वाबों का, आशियाँ अब सँवर रहा
जो धूल थी निगाहों में जमी हुई, अब पिघल रही
और हम बदल रहे, चल पड़े
वहाँ जहाँ हर एक सवेरा नया

[verse 1]
कोसता हूँ मैं अभी उस कल को
सताता है जो अब भी रातों को
पर अब ढल रहा वो चाँद

[verse 2]
उठेगा अब सूरज नया जो दफ़्न था
गाएगा दिलकश समाँ जो चुप सा था
अब कल का किसे है पता
क्या पता!

[outro]
था ख़ाक ख़्वाबों का, आशियाँ अब सँवर रहा
जो धूल थी निगाहों में जमी हुई, अब पिघल रही
और हम बदल रहे, चल पड़े
वहाँ जहाँ हर एक सवेरा नया


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