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lirik lagu rahgir – aadmi chutiya hai

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[chorus]
फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है
फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है
आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है
फूलों की लाशों में

[verse 1]
ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है
ज़िंदा है तो आसमान में उड़ने की ज़िद है
मर जाए तो
मर जाए तो सड़ने को ज़मीं चाहता है
आदमी चूतिया है

[verse 2]
काट के सारे झाड़~वाड़, मकाँ बना लिया खेत में
cement बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में
काट के सारे झाड़~वाड़, मकाँ बना लिया खेत में
cement बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में
लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में
मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में
मस्त है किसी खुमारी में
और वो ही बंदा
अपने घर के आगे नदी चाहता है
आदमी चूतिया है

[verse 3]
टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में
वहाँ भी dj, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में
टाँग के बस्ता, उठा के तंबू जाए दूर पहाड़ों में
वहाँ भी dj, दारू, मस्ती, चाहे शहर उजाड़ों में
फ़िर शहर बुलाए उसको तो जाता है छोड़ तबाही पीछे
कुदरत को कर दाग़दार सा, छोड़ के अपनी स्याही पीछे
छोड़ के अपनी स्याही पीछे
और वो ही बंदा वापस जा कर
फ़िर से वही हरियाली चाहता है
आदमी चूतिया है
[chorus]
फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है
फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है
आदमी चूतिया है, कुछ भी चाहता है
फूलों की लाशों में


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