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lirik lagu nishu (parekh & singh) – khidki

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[verse 1]
सारे बादल टूट गए
आसमान भर गया
परिंदे छुप गए
पर मैं खड़ा रहा

[pre~chorus]
तुम्हारी खिड़की के बहार
मैंने किया इंतज़ार
मान भी जा ना प्यार
राह देखे है इक़रार

[chorus]
हम शहर बदल दिए
ज़िंदगी ने खींच लिया
कुछ वादे टूट गए
तारे गिनता रहा

[pre~chorus]
खिड़की के बहार
मैंने किया इंतज़ार
मान भी जा ना प्यार
राह देखे है इक़रार

[verse 2]
खिड़की से सीखा मैंने
रोकना तूफ़ान
किसी को फलता नहीं
होनी न होने देना
[bridge]
लेहरो से भिड़ने जैसा
सेहेरो में गिरने जैसा
है एहसास
जाने दो, बहने दो
मिलेंगे हम उस पार
हाँ

[verse 3]
परिंदे घर गए
दिन भर करके बात (दिन भर करके बात)
कई बार डूबा मैं (डूबा मैं)
ढलते सूरज के साथ

[pre~chorus]
तुम्हारी खिड़की के बहार (के बहार)
मैंने किया इंतज़ार
मान भी जा ना प्यार
राह देखे है इक़रार

[outro]
अपनी खिड़की के बहार (खिड़की के बहार)
मैंने किया इंतज़ार (मैंने किया इंतज़ार)
मान भी जा ना प्यार (मान भी जा ना प्यार)
क्यूंकि दिल है बेकरार
तुम्हारी खिड़की के बहार
मैंने किया इंतज़ार (मैंने किया इंत…)
मान भी जा ना प्यार (मान भी जा ना… )
क्यूंकि दिल है बेकरार…


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