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lirik lagu narci – atma rama

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वहां माता ने थे मांगे दो वर क्या
माने वर धरा पैरों पे ही सर हाँ
बोले कुछ भी, न ही कुछ मांग राम
चले वन को ये बिना किए परवाह

चौदह साल बीते भी अब तो घर आ
इन फ़ासलों से ऐसे न तू तड़पा
मर जाऊंगा मैं तेरे बिना राम मेरे

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरी नारायण
अच्युत केशव हरी नारायण
आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरी नारायण
अच्युत केशव हरी नारायण

रोका मैने पर आंखे भर आयी ये
चौदह सालों से में लड़ा तनहाई से
सीता माँ को न देखा चौदह सालों से
चौदह सालों से न मिला मेरे भाई से

चौदह सालों में मैं सौ दफा मरा हूँ
चौदह सालों से मैं राह पे ही खडा हूँ
मिल के हाँ गले रोने देना राम मुझे
चौदह सालों से मैं काफी ज्यादा भरा हूँ

पिता का साया भी न सर पे है रहा मेरे
पिता हो तुम मेरे, भाई मेरे, राम मेरे
तेरे पैरों का ही भारत है ये दास अब
मेरे राम आज भाई के तू पास तेरे

मुझे हंसाने वाली बातें आके फिर कह
तेरे बिना हुए टुकड़े भी दिल के
वैसे तो किया नहीं कभी मुझे दूर पर
आज देखो चौदह सालों का है विरह

विरह ये दिल पे है, सर पे है बोज
जाता हु खो कहीं दर्दों को ओढ़
नैनो में आँसू है, सीने में पीड़ा
नींद तो छिनती है मेरी हर रोज
विरह ये दिल पे है, सर पे है बोज
जाता हु खो कहीं दर्दों को ओढ़
नैनो में आँसू है, सीने में पीड़ा
नींद तो छिनती है मेरी हर रोज

मेरे हालातों का किसको दूँ दोष?
यादें सताती है, बातें सताती
लगता है ज़ख्मों पे बैठी है ओस

आ रहे हो राम या दे दूँ मेरी जान मैं?
आज मैं मिटाने लगा मेरी पहचान मैं
तेरे बिना घर मुझे, घर भी न लगे
तेरे बिना खाली सारा ही जहान ये

आ रहे हो राम या दे दूँ मेरी जान मैं?
आज मैं मिटाने लगा मेरी पहचान मैं
तेरे बिना घर मुझे, घर भी न लगे
तेरे बिना खाली सारा ही जहान ये

भ्राता श्री
अयोध्या के राज सिंहासन पर
आपकी चरण पादुकाएं बिराजमान रहेगी
चौदह वर्षों तक एक एक दिवस मैं आपकी प्रतीक्षा करूंगा

किंतु ध्यायब रहे भ्राता श्री
यदि चौदह वर्षों पशचात आपने क्षण मात्र का भी विलम्ब किया तो
ये भरत अपने प्राण त्याग देगा
आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरी नारायण
अच्युत केशव हरी नारायण

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरी नारायण
अच्युत केशव हरी नारायण

आज भी जारी मुझे दिल में क्लेश मिला
वनों के पेड़ों क्या कोई सन्देश मिला?
दे दो इशारा हाँ कहाँ पे है तीनों वो?
गंमों का घोड़ा मेरे सीने पीछे तेजं मिला

आँखें मेरी नम है ये, पैर बने स्तंभ है ये
भारी पड़ें गम है ये, आघे खड़े हम है ये
बोलो क्या है कम की लाश बने हम
कैसे हूँ मैं पूरा जो राम नहीं हम में है

राम नहीं पास है तो कैसे मिले चैन भी?
राम है तलाश मेरे दोनों भीगे नैन की
राम जो है दूर तो मैं खुद से भी हूँ दूर
बिना मैंने राम के है व्यथा भी सहन की

राम नहीं पास है तो कैसे मिले चैन भी?
राम है तलाश मेरे दोनों भीगे नैन की
राम जो है दूर तो मैं खुद से भी हूँ दूर
बिना मैंने राम के है व्यथा भी सहन की

राम नहीं पास है तो कैसे मिले चैन भी?
राम के बिना है मेरी आत्मा बेचैन ही
राम नहीं पाए जो आस पास मैंने
स्वयं मेरे हाथों मैंने खुशियां दहन की

सुनी मैंने थोड़ी आहटें भी दूर से
राम के ही नारे मैंने गूँजे सुने दूर से
नारों के संग मैंने सेना देखि वानरों की
वानरों के बीच दिल के हुजूर है

साथ खड़ें भाई और साथ खड़ीं सिया माँ
आँसुओ की बूंदों को आज मैंने पिया हाँ
आज मैंने जिया मेरे राम की दीदार को
रूठे ये नसीब तूने साथ मेरे किया क्या?

वापसी है तीनों की ये सारो को बात देना
खुसियाँ मन्नाने की ये सारों को वजह देना
अवध है पधारे आज राम भाई, सिया संग
नगरी को सारी आज दीपों से सजा देना

दीपों से हाँ रौशनी का मेल भी लगा देना
रात के सन्नाटे को हंसी से दबा देना
अवध है पधारे आज राम भाई, सिया संग
नगरी को सारी आज दीपों से सजा देना

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरी नारायण
अच्युत केशव हरी नारायण

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरी नारायण
अच्युत केशव हरी नारायण

वापसी है तीनों की ये सारो को बात देना
खुसियाँ मन्नाने की ये सारों को वजह देना
अवध है पधारे आज राम भाई, सिया संग
नगरी को सारी आज दीपों से सजा देना

दीपों से हाँ रौशनी का मेल भी लगा देना
रात के सन्नाटे को हंसी से दबा देना
अवध है पधारे आज राम भाई, सिया संग
नगरी को सारी आज दीपों से सजा देना

हरी नारायण….. अच्युत केशव
हरी नारायण….. आत्मा रामा

हरी नारायण….. अच्युत केशव
हरी नारायण….. आत्मा रामा

अच्युत केशव हरी नारायण
(अच्युत केशव हरी नारायण )


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