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lirik lagu mohan kanan – shikayatein

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शिकायतें मिटाने लगी
(सुबह बेदाग़ है, सुबह बेदाग़ है)
जो बर्फ को गलने लगी
(कहीं तो आग है, कहीं तो आग है)

ना उड़ने की इस दफा ठानी
परिंदों ने भी वफ़ा जानी
अँधेरे को बाहों में लेके
उजाले ने घर बसाया है
चुराया था जो चुकाया है
शिकायतें मिटाने लगी
(सुबह बेदाग़ है)
जो बर्फ को गलने लगी

एक जीत तू है, एक हार मैं हूँ
हार जीत जोड़े, जो तार मैं हूँ
एक जीत तू है, एक हार मैं हूँ.. हो..

बताएं बिन गलतियां गिनाएं
सितारे जब भी सदा.. सुनाएं
लुटेरों को बाघबान बनाएं
नसीबों की बात है (नसीबों की बात है)

ज़मीर की कहानी है यह
(येही बैराग है, येही बैराग है)
शिकायतें मिटाने लगी
ना उड़ने की इस दफा ठानी
परिंदों ने भी वफ़ा जानी
अँधेरे को बाहों में लेके
उजाले ने घर बसाया है
चुराया था जो चुकाया है
शिकायतें मिटाने लगी
सुबह बेदाग़ है
सुबह बेदाग़ है


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