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lirik lagu lagori – river song

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हो, देखो कैसे बहे ये नदी
हो, देखो क्या कहे ये नदी
एक सोच से आती हुई
एक सोच से जाती नदी
हो, देखो कैसे बहे ये नदी
(ये नदी, ये नदी, ये नदी)

सुबह को जगाती हाँ
पंक्षियों की धुन
झूम के चली हवा मन का राग
सुन
कहीं बादलों से बूँदें
रूठती हुई
कहीं खिलते, मुस्कुराते
हाँ फूलों के वो रंग
मन ये ऐसे आज यूँ गाए
लहरों में कहीं जैसे खो
जाए
खो जाए, कहीं सो जाए

सोचता हूँ पंक्षियों से
राज पूँछ लूँ
पंख अपने खोल आज सब टटोल
लूँ
क्या है जहां के पार कोई
दूसरा जहां?
जहाँ मिलता है अरमानों
से नीले आसमां
हाँ जाऊ पार कहीं
ख्वाबों में सवार कहीं
सुबह से, शाम से, रात से
जाना मैंने यही
धूप से छांव की हर बात से
माना मैंने यही
भूल जाए भूले से वो कल
सभी
सुनो आज ही में है हमारी
जिन्दगी

गगन से, सूरज से, तारों
से सीखा मैंने यही
बूँदो से फूलों की
बहारों से जाना मैंने
यही
जिन्दगी है जैसे बहती
एक नदी
सुनो, हाँ सुनो कि क्या
कहती ये नदी
हाँ~हाँ~हाँ~हाँ~हाँ


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