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lirik lagu kishore kumar – mere samnewali khidki mein

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[intro]
अरे, हे
ला~ला~ला~ला~ला~ला~ला~ला~ला~ला~ला~ला
हम्म हे~हे

[chorus]
मेरे सामनेवाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है
मेरे सामनेवाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है
अफ़सोस यह है कि वो हमसे
कुछ उखड़ा~उखड़ा रहता है

मेरे सामनेवाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है

[verse 1]
जिस रोज़ से देखा है उसको
हम शमा जलाना भूल गए
दिल थाम के ऐसे बैठे हैं
कहीं आना~जाना भूल गए
अब आठ पहर इन आँखों में
वो चंचल मुखड़ा रहता है

[chorus]
मेरे सामनेवाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है
[verse 2]
बरसात भी आकर चली गई
बादल भी गरज कर बरस गए
बरसात भी आकर चली गयी
बादल भी गरज कर बरस गए

[verse 3]
पर उसकी एक झलक को हम
ऐ हुस्न के मालिक तरस गए
कब प्यास बुझेगी आँखों की
दिनरात यह दुखड़ा रहता है

[chorus]
मेरे सामनेवाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है
अफ़सोस यह है कि वो हमसे
कुछ उखड़ा~उखड़ा रहता है

मेरे सामनेवाली खिड़की में
एक चाँद का टुकड़ा रहता है


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