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lirik lagu kishore kumar – koi haseena jab rooth

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कोई हसीना जब रुठ जाती है तो
और भी हसीन हो जाती है
कोई हसीना जब रुठ जाती है तो
और भी हसीन हो जाती है
तेसं से गाडी जब
छूट जाती है तो
एक दो तिन हो जाती है

हट्ट साले..

हाथों में चाबूख
होंठों पे गालियाँ
हाथों में चाबूख
होंठों पे गालियाँ
बड़ी नख़रे वालियां
होती है टाँगे वालियां
कोई तांगे वाली जब रूठ
जाती है तो है तो है तो
और नमकीन हो जाती है
कोई हसीना जब रुठ जाती है तो
और भी हसीन हो जाती है

ज़ुल्फ़ों में छैय्या
मुखड़े पे धुप है
हे ज़ुल्फ़ों में छैय्या
मुखड़े पे धुप है
बड़ा मज़ेदार गोरिये
यह तेरा रंग रूप है
डोर से पतंग जब टूट
जाती है तो है तो है तो
रुख रंगीन हो जाती है
कोई हसीना जब रुठ जाती है तो
और भी हसीन हो जाती है
तेसं से गाडी जब
छूट जाती है तो
एक दो तिन हो जाती है
एक दो तिन हो जाती है
एक दो तिन हो जाती है
एक दो तिन हो जाती है


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