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lirik lagu kanwar grewal – chitthiye

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ओह मेरे पयार रब्बा
तेरी लिखिया…!
तू ही जानिया वे

हाए….!
तेरे आँखे ओं बहरा
आँख तेरे ही तुरर जानिया वे
हाए….!

चिट्ठिए नि चिट्ठिए

चिट्ठिए नि चिट्ठिए
हॅंज्यूये दी लिखिए
चिट्ठिए नि चिट्ठिए
हॅंज्यूये दी लिखिए
तेरेया नसीबा विच हो
तेरेया नसीबा विच
बोल दुख की है
बोल दुख की है
चिट्ठिए नि चिट्ठिए

हाए पीड कलेजे विच लायके
लुक-लुक जड़ कॉल दे रह के
लफ़जा नू कह देना
बोल कितो सीखिए
हॅंज्यूये दी लिखिए
चिट्ठिए नि चिट्ठिए
चिट्ठिए नि चिट्ठिए
हाए चिट्ठिए नि चिट्ठिए

कितने बेचैन होते होगे
छोटे छ्होटे नैन रोते होगे
शहमे शहमे जागते अकेले
तन्हा सारी रात सोते होगे
काज़ की तेरे नाल बह के
रो लैइंदा तेरे दुख लेह के
बोल तेरे खावबा दी
डोर किटथो तूतिए
जिंद मेरी ऋठीए

चिट्ठिए नि चिट्ठिए
हाए चिट्ठिए नि चिट्ठिए
हॅंज्यूये दी लिखिए
चिट्ठिए नि चिट्ठिए
हॅंज्यूये दी लिखिए


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