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lirik lagu joi barua – o’meri laila (radio edit)

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पत्ता अनारों का, पत्ता चेनारों का
जैसे हवाओं में
ऐसे भटकता हूँ, दिन रात दिखता हूँ

मैं तेरी राहों में
मेरे गुनाहों में, मेरे सवाबों में शामिल तू
भूली अठन्नी सी, बचपन के कुरते में से मिल तू

कैसे बताऊँ बातें मैं लैला
रखी है दिल में छुपा के जो लैला
कैसे बताऊँ, कैसे बताऊँ लैला
मजनू कहीं न हो जाऊँ मैं लैला
झूमू मैं नाचूँ मैं गाऊँ मैं लैला
रंग में तेरे मलंग फिरूँ मैं लैला

ओ मेरी लैला, लैला
क्या करूँ मैं लैला
झूमू मैं नाचूँ मैं गाऊँ मैं लैला
ओ मेरी लैला, लैला
क्या करूँ मैं लैला
रंग में तेरे मलंग फिरूँ मैं लैला

शोखियाँ निगाहों में
आ मेरे दिल की तू दरगाहों में
मिल गले हक़ीक़त में
शहर के रास्तों-चौराहों में
शहर खाली ये सारा किसी दिन तो हो
सारे झंझट मुसीबत हो बस दिन तो हो
आजकल मैं रहता हूँ तन्हाई में ये सोचता

कैसे बताऊँ बातें मैं लैला
रखी है दिल में छुपा के जो लैला
कैसे बताऊँ, कैसे बताऊँ लैला
मजनू कहीं न हो जाऊँ मैं लैला
झूमू मैं नाचूँ मैं गाऊँ मैं लैला
रंग में तेरे मलंग फिरूँ मैं लैला

ओ मेरी लैला, लैला
क्या करूँ मैं लैला
झूमू मैं नाचूँ मैं गाऊँ मैं लैला
ओ मेरी लैला, लैला
क्या करूँ मैं लैला
रंग में तेरे मलंग फिरूँ मैं लैला


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