lirik.web.id
a b c d e f g h i j k l m n o p q r s t u v w x y z 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 #

lirik lagu jeet gannguli, mustafa zahid – gunaah

Loading...

गुनाह किया, दिल मैंने यार का तोड़ के
गुनाह किया, उसे एक दिन तनहा छोड़ के

गुनाह किया, दिल मैंने यार का तोड़ के
गुनाह किया, उसे एक दिन तनहा छोड़ के
तू मिल ना पाए, हम जी ना पाएँ
कही मर ना जाएँ, कैसी है? कैसी है बेबसी?
दिल फिर से चाहे तेरी ही पनाहें
कहीं मर ना जाए ज़िंदगी
गुनाह किया, दिल मैंने यार का तोड़ के

आँखें हैं नम, धड़कन मद्धम
अब मान जा, रूठे सनम
साँसें चुभन, टूटा समन
और ना सता, ओ, जान~ए~मन
तू मिला ना पाए, हम जी ना पाएँ
कही मर ना जाएँ, कैसी है? कैसी है बेबसी?
दिल फिर से चाहे तेरी ही पनाहें
कहीं मर ना जाए ज़िंदगी
गुनाह किया, दिल मैंने यार का तोड़ के

ना~रे, ना~रे, ना~रे, ना~रे, ने~रे~ना
ना~रे, ना~रे, ना~रे, ना~रे, ने~रे~ना
ना, ना, ना, ना, ना~रे, ना, ना, ना, ना, दे~रे
ना, ना, ना, ना, ना~रे, ना, ना, ना, ना, दे~रे~ना, दे~रे~ना, दे~रे~ना

मेरा हर पल अब तो बोझल
वीरान सा दिल ये हरदम
लाखों हैं ग़म, तनहा हैं हम
कैसे सहें इतना सितम?
तू मिला ना पाए, हम जी ना पाएँ
कही मर ना जाएँ, कैसी है? कैसी है बेबसी?
दिल फिर से चाहे तेरी ही पनाहें
कहीं मर ना जाए ज़िंदगी
गुनाह किया, दिल मैंने यार का तोड़ के
गुनाह किया, उसे एक दिन तनहा छोड़ के

गुनाह किया
गुनाह किया


Lirik lagu lainnya:

LIRIK YANG LAGI HITS MINGGU INI

Loading...