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lirik lagu babul supriyo – lamha

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लम्हा, हर लम्हा लगता है क्यूँ नया
लगता है क्यूँ नया
दिल को, मेरे दिल को जाने क्या हो गया
जाने क्या हो गया

ऐसा तो नहीं था ये समाँ
ऐसा तो नहीं था ये समाँ

लम्हा, हर लम्हा लगता है क्यूँ नया
लगता है क्यूँ नया
दिल को, मेरे दिल को जाने क्या हो गया
जाने क्या हो गया

[instrumental~break]

मैं, मैं हूँ वही, चल रही है ये जमीं
है, सब पास है, है मगर कुछ तो कमी
वक्त ठहरा सा है, दर्द गहरा सा है
कैसी अजनबी है आरज़ू, किसकी है मुझे से जुस्तजू

लम्हा, हर लम्हा लगता है क्यूँ नया
लगता है क्यूँ नया
दिल को, मेरे दिल को जाने क्या हो गया
जाने क्या हो गया

[instrumental~break]
ये ख़ामोशियाँ दे रही है क्यूँ सदा?
क्यूँ छाने लगा बेवफ़ा मुझपे नशा?
है ये किसकी ख़ता, कुछ मुझे ना पता
कोई लिख रहा है दास्ताँ, मौसम लग है बदगुमाँ

लम्हा, हर लम्हा लगता है क्यूँ नया
लगता है क्यूँ नया
दिल को, मेरे दिल को जाने क्या हो गया
जाने क्या हो गया


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