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lirik lagu akashh – kasak

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कोरी कसक, मोरा कोरा बदन
कोरी बात है, कोरी बात है
चुप्पी ये उगले तेरी लाख ज़हर

मुझे रास है, मुझे रास है
कोई उनको दे ये खबर
मेरी सुनते नही आजकल
दिन दो~चार जो बाकी है मुझमें
दे दो उनमे दख़ल
चीखे~चिल्लाये हम, पर कह न पाए जो
दरकार है, हमें प्यार है
कोरी कसक, मोरा कोरा बदन
कोरी बात है, कोरी बात है

जब आधी~आधी सोई आधी जागी थी
थोड़ी थी खरास मदहोशी बाकी थी
जब सच और झूठ पर सर रखके, तुम जब
सोया करती थी
जब न सोचती न समझती राज़ सब
खोला करती थी
आसमाँ भी…
आसमाँ भी न जाने वो
सवेरे अब कम से लाता है
न जाने हँसते~हँसते ही
मुझे रोना क्यों आता है
खुदा बन गया था मैं
वो खुदा नही मानती
खुदा बन गया था मैं
वो खुदा नही मानती
मैं शातिर, वो काफ़िर, तो नही?

धारदार तेरे तानों पर, पागल~सा थिरकूँ
क्यों दुश्वार है, ये मेरा प्यार है
तीखी तेरी नज़रें जो, पड़ती मेरे ज़ख्मो पर,
आता स्वाद है, कैसा बर्बाद है
बर्बाद है…

कोरी कसक का ना मोरा कोई जवाब है…
आ.नि रे ग

जानता हूँ के तुम आओगे नही
पर ये इंतज़ार मज़ेदार है
कोरी कसक मोरा
कोरा बदन मोरा
कोरा ये मन मोरा
कोरा जीवन मोरा ।।


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