lirik lagu talat mehmood - shaam-e-gham ki kasam
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शाम~ए~ग़म की क़सम, आज ग़मगीं हैं हम
आ भी जा, आ भी जा आज मेरे सनम
दिल परेशान है, रात वीरान है
देख जा किस तरह आज तनहा है हम
चैन कैसा जो पहलू में तू ही नहीं
मार डाले ना दर्द~ए~जुदाई कहीं
रुत हसीं है तो क्या, चांदनी है तो क्या
चांदनी ज़ुल्म है और जुदाई सितम
अब तो आजा के अब रात भी सो गई
ज़िन्दगी ग़म के सेहराओ में खो गई
ढूँढती है नज़र, तू कहाँ है मगर
देखते देखते आया आँखों में दम
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