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lirik lagu suman kalyanpur - bujha do deepak

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बुझा दो दीपक करो अँधेरा
बुझा दो दीपक करो अँधेरा
बुझा दो दीपक करो अँधेरा

मै आज दिल को जला रही हु
ए रात अपने सितारे ले ले
मई जखम अपने दिखा रही हु
दिखा रही हु
बुझा दो दीपक करो अँधेरा
मै आज दिल को जला रही हु
ए रात अपने सितारे ले ले
मई जखम अपने दिखा रही हु
दिखा रही हु
बुझा दो दीपक करो अँधेरा

पत्थर दिल है दुनिआ वाले
दर्दे जिगर क्या जाने
पत्थर दिल है दुनिआ वाले
दर्दे जिगर क्या जाने
फूल के ासु को समझे सबनम
कैसे है दीवाने
कैसे है दीवाने
ये रूप बादलो ये रंग बदला
मैं आज खुद को भुला रही हु
ए रात अपने सितारे ले ले
मई जख्म अपने दिखा रही हु
दिखा रही हु
बुझा दो दीपक करो अँधेरा
आती जवानी जाता ज़माना
हाथ किसी के न आये
आती जवानी जाता ज़माना
हाथ किसी के न आये
चढ़ता सूरज लाख इतराये
साँझ भये ढल जाये
साँझ भये ढल जाये
जिगर के टुकड़ों में रंग भर कर
सनम की महफ़िल सजा रही ह
सनम की महफ़िल सजा रही हु
ए रात अपने सितारे ले ले
मई जख्म अपने दिखा रही हु
दिखा रही हु
बुझा दो दीपक करो अँधेरा

समां ने पहले खुद को जला कर
परवाने को जलाया
समां ने पहले खुद को जला कर
परवाने को जलाया
प्यार में दोनों मतवालो ने
एक ही धोखा खाया
एक ही धोखा खाया
टूटे दिल का सिंगार करके
मई गम को दुलन बना रही हु
ए रात अपने सितारे ले ले
मई जख्म अपने दिखा रही हु
दिखा रही हु
बुझा दो दीपक करो अँधेरा


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