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lirik lagu sonu nigam - hari mere ghar ko

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[intro]
hmmmmmmm, ooooo

[chorus]
हरी मेरे घर को ये वर दो
माँ~पिता की सेवा हो
भाई~बहन में होऊँ
भाई~बहन में निष्छल प्यार हो
अतिथि नित्यों का सदा सत्कार हो
मन में सभी के लिये प्रेम भाव हो
मेरी हर धड़कन बन जाए पूजन
घर ही मेरे लिये तीर्थ हो
हरी मेरे घर को ये वर दो
माँ~पिता की सेवा हो

[verse 1]
माँ~पिता अनमोल अनुपम हैं
संस्कारों के ये उद्गम हैं
यही तो साक्षात देव~रूप हैं
यही तो साक्षात देव~रूप हैं
मेरी हर धड़कन बन जाए पूजन
घर ही मेरे लिये तीर्थ हो

[refrain]
हरी मेरे घर को ये वर दो
माँ~पिता की सेवा हो
[verse 2]
सब अपने हों, कोई न गैर हो
मन में किसी के लिये द्वेष न बैर हो
ये सारा जग जैसा अपना घर हो
ये सारा जग जैसा अपना घर हो
मेरी हर धड़कन बन जाए पूजन
घर ही मेरे लिये तीर्थ हो

[refrain]
हरी मेरे घर को ये वर दो
माँ~पिता की सेवा हो

[verse 3]
यूँ जीवन को सफल बनाऊँ मैं
हर दिन एक नया पुण्य कमाऊँ मैं
कर्मों से मोक्ष~द्वार पाऊँ मैं
कर्मों से मोक्ष~द्वार पाऊँ मैं
मेरी हर धड़कन बन जाए पूजन
घर ही मेरे लिये तीर्थ हो

[chorus]
हरी मेरे घर को ये वर दो
माँ~पिता की सेवा हो
भाई~बहन में होऊँ
भाई~बहन में निष्छल प्यार हो
अतिथि नित्यों का सदा सत्कार हो
मन में सभी के लिये प्रेम भाव हो
मेरी हर धड़कन बन जाए पूजन
घर ही मेरे लिये तीर्थ हो
[refrain]
हरी मेरे घर को ये वर दो
माँ~पिता की सेवा हो


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