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lirik lagu shivoham tfb - bhisma (mahamahim version)

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यदा न्यायः प्रतिष्ठितः, सदा धर्मो विजयते।
यदा धर्मो विजयते, तदा न कुर्वन्ति मानवाः।

मैं देव व्रत हूँ…..
(मैं देव व्रत हूँ.)
गंगा का पुत्र स्वाभिमानी

मैं भीष्म हूँ…
(.मैं भीष्म हूँ…)

शांतनु का पुत्र बलिदानी

बाणों पे लिखी मेरे जय की कहानी
गुरु है पूज्य परशु राम भगवान
दिव्यता प्राप्त है माता गंगा से
पिता से इक्षा मृत्यु का वरदान

मेरी भीष्म प्रतिज्ञा ने बदला
विधान भारत वर्ष का
निकृष्ट नालायक राजा बना
हुआ अंत उत्कर्ष का !
मैं राजा हूँ रणभूमि का
(मैं राजा हूँ रणभूमि का)
मैं दास हूँ कुरुभूमि का
( मैं दास हूँ कुरुभूमि का )

[rap]

एक पाप हुआ मुझसे
कर्तव्य के निर्वाह में
अम्बा के आँसू बने
जीवन के मेरे श्राप थे ।
देह त्याग कर अग्नि में
महादेव से पाया वर
मृत्यु मेरी निश्चित की
कहा

“आऊंगी तुम्हारा काल बन कर !!!”

मैं देव व्रत हूँ
गंगा का पुत्र स्वाभिमानी
मैं भीष्म हूँ
शांतनु का पुत्र बलिदानी

[chorus]
जब हस्तिनापुर को परपंच ने घेरा …
करबद्ध मैं मौन विवश अकेला …
(करबद्ध मैं मौन विवश अकेला )
( मैं दास हूँ कुरुभूमि का )

धृतराष्ट्र है नेत्र हीन
दुर्योधन करे कुल मलिन
शकुनि के प्यादे हैं सारे
सारे ही अहंकार में लीन
मेरे गर्जन मात्र से
फिर जाता नियति का खेल
युधिष्ठिर होता राजा
राज्य में सुख शांति का मेल
ना होती द्युत सभा
ना खींचे जाते कुलवधू के केश
सही समय पे धर्म को
समझना रह गया था शेष

किन्तु मैंने वचन को
दिया उच्च स्थान
इंद्रप्रस्थ हार पांडवो ने
किया वन प्रस्थान …..

समय है अभिमान के विनाश का
सुन रहे सब शंखनाद सर्वनाश का

पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जयः
पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः
[bridge]
[flute solo]

सेना पति बना मैं अधर्म का
दुर्योधन का अटूट ढाल बना।
सहायक बना मैं परपंच का
पांडव सेना का काल बना।
मैं धर्म मार्ग में विघ्न बना
प्रण में छल की मशाल बना

तब केशव ने पहिया उठाया
करने को मुझ पर प्रहार
मानो जैसे मुझे भी दिया
भगवन ने गीता का ज्ञान
जीवन अंत समीप दिखा
सामने खड़ा है मेरा काल
अर्जुन संग शिखंडी रथ पे
तान रही है मुझ पे बाण

प्रिय अर्जुन, मुझे वीर गति दो !!!
पुत्र, रखो मेरे शौर्य की लाज
शर शय्या भेट मुझे दो अब
विजयी भवः मेरे प्रिय पार्थ

इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त है
उजला भविष्य हर ओर व्याप्त है
धर्म राज्य का सुख मैं भोगूं
मेरे हेतु इतना पर्याप्त है।

व्यर्थ था शपथ धर्म के आगे
प्रायश्चित हेतु अधीर है आत्मा
संतोष बस था मन में इतना
मेरे देश का राजा है धर्मात्मा
संग जिसके सदैव परमात्मा

मैं देवव्रत हूँ
गंगा का पुत्र स्वाभिमानी!!!!
मैं भीष्म हूँ
शांतनु का पुत्र बलिदानी!!!

यदा न्यायः प्रतिष्ठितः, सदा धर्मो विजयते।
यदा धर्मो विजयते, तदा न कुर्वन्ति मानवाः।


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