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lirik lagu shilpa rao, prasad sashte & bimaljeetsingh oberoi - adhoora

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[chorus]
था जो अभी यहीं, कहाँ है लम्हा वो?
है पल से पहले जो, मिला है जा के कल को
था जो अभी यहीं, कहाँ है लम्हा वो?
है पल से पहले जो, मिला है जा के कल को
मैंने अभी तो जिया भी नहीं था उसको
देखा ही था, चाहा ही था बस इक नज़र
छुआ~सा अनछुआ
अखियों में पलकों से दबाते हुए
ले चला दिल की ओर
जो देखा तो ना था, छोड़ गया मुझे वो अधूरा
था जो अभी यहीं, कहाँ है लम्हा वो?
है पल से पहले जो, मिला है जा के कल को
मैंने अभी तो जिया भी नहीं था उसको
देखा ही था, चाहा ही था बस इक नज़र
छुआ~सा अनछुआ
अखियों में पलकों से दबाते हुए
ले चला दिल की ओर
जो देखा तो ना था, छोड़ गया मुझे वो अधूरा

[verse]
लम्हों से भरी ज़िंदगी मेरी
कुछ जैसे शूल, कुछ फूल~सी
कट जाएँ, कुछ काटे ही नहीं
सुख दे कभी, कभी सीख~सी
इन बिना मन दुखी, सूनी~सूनी साँसें मेरी
पाऊँ कभी~कभी नहीं, बैरी पिया माने नहीं
जागूँ, सोऊँ, ढूँढूँ पल, ऐसे ही पाया तो है
तो भी लगे सब अधूरा
[chorus]
था जो अभी यहीं, कहाँ है लम्हा वो?
है पल से पहले जो, मिला है जा के कल को
मैंने अभी तो जिया भी नहीं था उसको
देखा ही था, चाहा ही था बस इक नज़र
छुआ~सा अनछुआ
अखियों में पलकों से दबाते हुए
ले चला दिल की ओर
जो देखा तो ना था, छोड़ गया मुझे वो अधूरा


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