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lirik lagu sharma bandhu - jaise suraj ki garmi se

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[chorus]
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर कि छाया
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर कि छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर कि छाया

[verse 1]
भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को
लहरों से लड़ती हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा
मिल ना रहा हो किनारा
उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

[refrain]
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर कि छाया

[verse 2]
शीतल बने आग चंदन के जैसी
राघव कृपा हो जो तेरी
राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाएं रातें
जो थीं अमावस अंधेरी
उजियाली पूनम की हो जाएं रातें
जो थीं अमावस अंधेरी
जो थीं अमावस अंधेरी
युग~युग से प्यासी मरुभूमि ने जैसे सावन का संदेस पाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम
[refrain]
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर कि छाया

[verse 3]
जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो
उस पर कदम मैं बढ़ाऊं
जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो
उस पर कदम मैं बढ़ाऊं
फूलों में, खारों में, पतझड़ बहारों में
मैं न कभी डगमगाऊं
फूलों में, खारों में, पतझड़ बहारों में
मैं ना कभी डगमगाऊं
मैं ना कभी डगमगाऊं
पानी के प्यासे को तक़दीर ने
जैसे जी भर के अमृत पिलाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

[chorus]
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर कि छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर कि छाया


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