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lirik lagu samyak prasana - nazar ki shiddat

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[samyak prasana “nazar ki shiddat” के बोल]

[intro]
हो~ओ~ओ
हो~ओ~ओ, ओ~ओ, ओ

[verse 1]
तेरी नज़र में जो गहराई है
वो लफ़्ज़ों से बयाँ नहीं होती
जैसे सहरा की ख़ामोशी में
कोई बारिश की दुआ खो जाती

[pre~chorus]
तेरी निगाहें किताबों सी
हर सफ़ा नया एक अफ़साना है
जैसे छू ले कोई रुख़सार
गुज़रा हुआ कोई तराना है

[chorus]
तेरी नज़र की शिद्दत जिगर तक उतर जाए
जैसे अंधेरी रातों में कोई चिराग़ जल जाए
ये इश्क़ है या इल्म का सेहरा
हर हर्फ़ तुझसे होके गुज़र जाए (गुज़र जाए)

[verse 2]
तेरे अल्फ़ाज़ों की तहों में
कहानी कोई अधूरी सी है
तेरी ख़ामोशी की सरगम में
मोहब्बत की नमी कहीं छिपी सी है
[pre~chorus]
तेरा होना जैसे कोई एहसास
जिसे समझने की कोई ज़रूरत ना हो
बस पास बैठे रहो
और सारी बात बेईमानी हो

[chorus]
तेरी नज़र की शिद्दत जिगर तक उतर जाए
जैसे अंधेरी रातों में कोई चिराग़ जल जाए
ये इश्क़ है या इल्म का सेहरा
हर हर्फ़ तुझसे होके गुज़र जाए (गुज़र जाए)
गुज़र जाए

[bridge]
वक़्त रुक जाए जब तू क़रीब हो
जैसे किसी पुरानी दुआ का असर हो
ना कोई वादा, ना किसी शर्त का बंधन
तेरी मौजूदगी मेरा मुक़द्दर हो

[chorus]
तेरी नज़र की शिद्दत जिगर तक उतर जाए
जैसे अंधेरी रातों में कोई चिराग़ जल जाए
ये इश्क़ है या इल्म का सेहरा
हर हर्फ़ तुझसे होके गुज़र जाए (गुज़र जाए)
गुज़र जाए


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