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lirik lagu rushil aswal - subah ki chai

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[intro]
हां, अब दिन खत्म पर रात बाकी है
सुबह की चाय की तरह
तेरे लिए दिल में प्यार काफी है
ये लम्हे हैं कुछ इस तरह
मेरे बस चले तो इन्हें रोक लूं
गुनगुनाने की वजह तू

[verse 1]
तू ही बता
क्यों है तू खफा?
गलती पूछूं तो तू कहे हो जा दफा
मुझे क्या पता
ले जाएं कहां
ये नई हवाएं
हाय
तेरी नजर में है जो फिक्र
अगर तुझे सताती है ये
तो तू ही ये बता
मैं जाऊंगा कहां तेरे बिना अब?
जब डरे भी तू
लड़े भी तू
तो प्यार की बातें ये करे तू क्यों?
गीत के शब्द ही हैं क्या?
ऐसी तो मदद, कैसे ही करूं
खुद कहूं या मैं तेरी सुनूं वजहें?
वजह, बता बता बता
[chorus]
हां, अब दिन खत्म पर रात बाकी है
सुबह की चाय की तरह
तेरे लिए दिल में प्यार काफी है
ये लम्हे हैं कुछ इस तरह
मेरे बस चले तो इन्हें रोक लूं
गुनगुनाने की वजह तू

[verse 2]
कैसे मैं बताऊं?
कितना तुम्हें चाहूं
सीधी सी तो बात नहीं ये
कैसे न रुलाऊं?
तुमसे न छुपाऊं
दिल में जो बात रहे
सीने से लगाऊं
धड़कनें सुनाऊं
तुम हो तो अब ये भी हैं तेज
गाने जो बनाओ
तुम्हें जो सुनाओ
आधे तो ये तुम पर ही हैं
अब क्या कहूं मैं तुमसे
कि बिना चाहे भी कितना चाहूं तुम्हें
गलती हो जो हमसे
उन्हें भुला के बस हम एक साथ रहें
दिल जो मेरा तुम पे है
अच्छे या बुरे जब हालात रहें
हम साथ रहें
हम साथ चलें और तू बात करे
कि कैसे मेरी आशिकी रहेगी तेरे बाद भी
मैं कहूं कि तुमसे ज्यादा प्यारा कोई इंसान नहीं
और ये मेरा मजाक नहीं, तुम्हारी हंसी आज भी लाजवाब
[chorus]
तो कहना चाहूं तुम्हें कि
हां, अब दिन खत्म पर रात बाकी है
सुबह की चाय की तरह
तेरे लिए दिल में प्यार काफी है
ये लम्हे हैं कुछ इस तरह
मेरे बस चले तो इन्हें रोक लूं
गुनगुनाने की वजह तू

[outro]
हां, अब दिन खत्म पर रात बाकी है
सुबह की चाय की तरह
तेरे लिए दिल में प्यार काफी है
ये लम्हे हैं कुछ इस तरह
मेरे बस चले तो इन्हें रोक लूं
गुनगुनाने की वजह तू


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