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lirik lagu qabooliyat - sudhanwa vaid

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[verse 1]
रंज लेके चल दिया, मैं इन हसरतों से थक लिया
परवाज़ मांग के नूर से एक जज़ीरे पे घर लिया
क्या वजूद खोजता हूँ मैं, या वजूद खो चुका हूँ
या बात दोनों ही सच है, महफील में ढल रहा हूँ
ये बात लोगों ने पूछी नहीं तू चाहता क्या है दिल से बता
मैं सीख पाया न बचपन मैं दिल छुपी बातें हैं क्या
हमदम मिला दो पल गए
पर उसने भी खुद को चुना
फिराक से एक इल्म बना
फिर मैंने भी खुद को चुना

[chorus]
एक लफ्ज़ है, एक लफ्ज़ है
उल्फत मैं एक ही लफ्ज़ है
हाँ मैं कहूँ, हाँ तू कहे
अफ़साने फिर बनते चलें
एक अक्स है, एक अक्स है
फितरत की एक ही अक्स है
एक मैं बनूँ, एक तू बनें
अफ़साने फिर बनते चलें
एक लफ्ज़ है, एक लफ्ज़ है
उल्फत मैं एक ही लफ्ज़ है
हाँ मैं कहूँ, हाँ तू कहे
अफ़साने फिर बनते चलें
[verse 2]
बन गया हूँ नया, मैं भी तो हूँ नायाब
मैंने भी पाना है एक नया फलसफा
कभी था निराश सा
कभी बेबाक सा
कभी कोई आरजू
कभी परवाज़ था
कभी नाराज़ सा
कभी दिल फैक था
तभी मैंने जाना है
मैं बस इन्सान था
बन गया हूँ नया, मैं भी तो हूँ नायाब
मैंने भी पाना है एक नया फलसफा
कभी था निराश सा
कभी बेबाक सा
कभी कोई आरजू
कभी परवाज़ था
कभी नाराज़ सा
कभी दिल फैक था
तभी मैंने जाना है
मैं बस इन्सान था

[outro]
एक ही लफ्ज़ है, आज ही बोल दो
देर मत करो


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