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lirik lagu pritam, papon, mirza ghalib & sandeep shrivastava - hote tak

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[pritam, papon, mirza ghalib & sandeep shrivastava “hote tak” के बोल]

[verse 1: papon]
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
दाम~ए~हर~मौज में है हल्क़ा~ए~सद~काम~ए~नहंग
देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होते तक

[chorus: papon]
आसमाँ रुका, रुकी ज़मीं, इक सुबह होते तक
जैसे हम रुके, रुको ज़रा, तुम सुलह होते तक
साथ हम तेरे जिए~मरे, फ़ासला होते तक
निस्बतों का क्या कहो करें फ़ैसला होते तक

[verse 2: papon]
मेरे रास्तों को तेरे रास्तों की अब ख़बर ना
मेरा जो शहर है, तेरा वो शहर अब रहा ना
मुड़ी सी है ज़िंदगी, ख़यालों में बहाल फिर भी रहना
बिछड़ने लगे हमसफ़र, यूँ चले बदगुमाँ होते तक

[chorus: papon, choir]
आसमाँ रुका, रुकी ज़मीं, इक सुबह होते तक
जैसे हम रुके, रुको ज़रा, तुम सुलह होते तक
साथ हम तेरे जिए~मरे, फ़ासला होते तक
निस्बतों का क्या कहो करें फ़ैसला होते तक
आसमाँ रुका, रुकी ज़मीं, इक सुबह होते तक
जैसे हम रुके, रुको ज़रा, तुम सुलह होते तक
साथ हम तेरे जिए~मरे, फ़ासला होते तक
निस्बतों का क्या कहो करें फ़ैसला होते तक
[outro: papon]
mm~mm~hm, mm~hm, mm~hm, mm~hm, mm~mm~hm होते तक
mm~mm~hm, mm~hm, mm~hm, mm~hm, mm~mm~hm होते तक


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