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lirik lagu nakash aziz, kuku prabhas & rickie - ek muthhi raakh

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[nakash aziz “ek muthhi raakh” के बोल]

[intro]
ओ~हो~हो
हो, हो~ओ, हो

[verse 1]
एक मुट्ठी राख बेचारी, छुप~छुप बहती जाए
अश्क इसके आए नज़र ना, छुप~छुप रोती जाए
किसकी~किसकी लगेंगी ठोकरें, किसके लगेंगे पाँव?
जाना कहाँ है, जाने ना, धूप मिलेगी या छाँव

[refrain]
अहम कैसा, वहम कैसा, जीवन क्यों इठलाए
ख़ाक में मिलना जिसे, जीवन वो इतराए

[verse 2]
ताने मारे, तंज़ कसे, हँसी उड़ाए क्यों?
दुख से जो घबराया है, उसे सताए क्यों?
खुशियाँ खुद बंजारन हैं, नहीं ठिकाना एक
फिर भी एक~दूजे पे सारे, खंजर रहे हैं फेंक
खंजर रहे हैं फेंक

[verse 3]
करम जैसा, फल वैसा, सदियों की ये रीत
तोड़े से भी टूटेगी ना, इनमें ऐसी प्रीत
किसकी~किसकी लगेंगी ठोकरें, किसके लगेंगे पाँव?
जाना कहाँ है, जाने ना, धूप मिलेगी या छाँव
[outro]
ओ~हो~हो (धूप मिलेगी या छाँव)
ओ~हो~हो (धूप मिलेगी या छाँव)
हो, हो~ओ~ओ (धूप मिलेगी या छाँव)
हो (धूप मिलेगी या छाँव)


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