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lirik lagu mukul sharma & bhavdeep romana - qissa

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[intro: mukul sharma]
this is not a song
ये कहानी है
आपकी मेरी हम सबकी

[verse 1: mukul sharma]
समुन्दर के किनारे पर बैठ के रोता हूँ
मैं जिसको चाहता हूँ
उसी को खोता हूँ
तलब भी ये नहीं की देगा कोई मेरा साथ
तलब भी ये के हाँ पकड़ले कोई मेरा हाथ
है अगर नसीब में लिखा तो फिर सही हुआ
उसकी सौबतों में इश्क़ है मरा हुआ
हुआ नहीं मेरा तो क्यूँ है फिर शिकायत उसे
हम अपनी ही बनाई दुनिया में रहे है उलझे

[bridge: mukul sharma]
अब मेरी कोई ज़िन्दगी ही नहीं
अब मेरी कोई ज़िन्दगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िन्दगी हो क्या

[chorus: bhavdeep romana]
tere kol main ni aauna sari zindagi
tere kol main ni aauna sari zindagi
jee le jide naal chauhni hai tu jeeni zindagi
jeeni zindagi
haaye
[verse 2: mukul sharma]
ज़मीन पे ना सही तो आसमान पे मिल मुझे
तेरी नादानियों पे दिल मैं क्या ही दू तुझे
जनाज़े पर ही दिख मगर तू दिख तो बस मुझे
if text are not possible तो लिखना खत मुझे
उम्र से कम् हूँ लेकिन तजुर्बे का खेल है
मोहब्बत लगती जैसे कैदियों को jail है
i am dying on the lonely streets but n0body help
और क्यों करेगा कोई यहाँ सबके अपने मस्ले है

[chorus: bhavdeep romana]
tere kol main ni aauna sari zindagi
tere kol main ni aauna sari zindagi
jee le jide naal chauhni hai tu jeeni zindagi
jeeni zindagi
haaye

[verse 3: mukul sharma]
सालो के बाद भी तेरी याद का ज़ख्म है ताज़ा
जैसे खुरेदता हूँ चोट कोई जिस्म पर
लगे ना दुआ ना कोई दवा का असर मुझपे
तरस आता है मुझे मेरी ही किस्मत पर
लफ्ज़ो से आरज़ू बताई तुझको क्यूँ नहीं
तू अगर ठीक तो मैं ठीक रहता क्यों नहीं
शिकन तेरी शकल की साफ़~साफ़ कहती है
तू जिससे मिलती है वो मेरे जैसा क्यों नहीं
हैरत तो ये के लोग मुँह पे है मुकरते
और झूठ कहने से ज़रा भी नहीं डरते
मुकुल भी देखता है अपनों को और हस्ता है
हस्ता है देखता है अपनों को बदलते
जिसके लिए करता हूँ रातो को ख़राब मैं
रात के तीन बजे और हाथ में शराब है
वो आएगा और ये कहेगा “i love you”
कबसे देखने लगा हूँ झूठे खवाब मैं
ख़ुशी में खुश नहीं
और गम में अपने रोता नहीं
माँ है परेशां तो मैं
रातों में भी सोता नहीं
दफ़न भी कर दिए है खवाब सारे ख़ाक में
गुरूर है के हर किसी का अपना होता नहीं
[outro]
क़िस्सा ख़तम


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