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lirik lagu mohammed rafi - chhod bhi de manjhdhar nao

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[mohammed rafi “chhod bhi de manjhdhar nao” के बोल]

[intro]
छोड़ भी दे मंझधार में नाव
लेकर उसका नाम
पार उतारे या वो डुबोए
जाने अपने काम

[chorus]
आदमी चिराग है, उसकी चलेगी क्या
चलती हवा के सामने
तू भी मजबूर है, मैं भी मजबूर हूँ
उसकी रज़ा के सामने, हो~हो
आदमी चिराग है, उसकी चलेगी क्या
चलती हवा के सामने

[verse 2]
तेरा काम है यही, बस काम किए जा
मत सोच ये तू, अंजाम है क्या
तेरा काम है यही, बस काम किए जा
मत सोच ये तू, अंजाम है क्या
वो काँटों की सेज दे या फूलों की
झुकने के सिवा तेरा काम है क्या
झुकने के सिवा तेरा काम है क्या

[chorus]
आदमी चिराग है, उसकी चलेगी क्या
चलती हवा के सामने, हो~हो
तू भी मजबूर है, मैं भी मजबूर हूँ
उसकी रज़ा के सामने
[verse 2]
कई डूब के भँवर में भी बच निकले
कई रह गए डूब के किनारे पर
कई डूब के भँवर में भी बच निकले
कई रह गए डूब के किनारे पर
वो नदी है या नाव, या आँधी हो
सभी चलते हैं उसके इशारे पर
सभी चलते हैं उसके इशारे पर

[chorus]
आदमी चिराग है, उसकी चलेगी क्या
चलती हवा के सामने, हो~हो
तू भी मजबूर है, मैं भी मजबूर हूँ
उसकी रज़ा के सामने


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