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lirik lagu the local train – aaftaab

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ख़ामोश भीड़ में फिर हो खड़े गुमशुदा
मौजूद हो यहाँ या गुम कहीं
किसको पता

जब लगे हर घड़ी की
अब इस रात की
ना है सुबह कोई
कर यक़ीन देख तू की
आफ़ताब वो हस्सीन
है छुपा यहीं कहीं

चेहरे में तेरे बंद वो कितने सवाल
पूछते खुशी का पता
बाकी अभी इम्तहां
है अगर राहगुज़र पर
गहरा अंधेरा
माहताब सो चुका
कर यकीन हमनशीं की
आफ़ताब वो हसीं
है छुपा यहीं कहीं
कहीं दूर शोर से
इक नया दौर है
मोहताज़ ना किसीके
ना पूछे कोई तेरा नाम
ही ले जहां बस खुशी
फलशफ़ा बस यहीं
तो कर यक़ीन

जब लगे हर घड़ी की
इस रात की ना है सुबह कोई
कर यकीन देख तू की
आफ़ताब वो हसीं
है छुपा यहीं कहीं
कहीं दूर शोर से
इक नया दौर है
मोहताज़ ना किसीके
ना पूछे कोई तेरा नाम
ही ले जहां बस खुशी
फलशफ़ा बस यहीं
तो कर यक़ीन
हो हो हो हो हो
हो हो हो हो हो


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