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lirik lagu kavita seth - tu mera kuch bhi nahi

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verse
तू मेरा कुछ भी नहीं है, मगर ऐसा क्यूँ है?
तू मेरा कुछ भी नहीं है, मगर ऐसा क्यूँ है?
एक यक़ीं सदियों की पहचान का लगता क्यूँ है?
क्यूँ तेरे नाम से तूफ़ाँ रवाँ होते हैं?
दिल के जज़्बात पे महताब अयाँ होते हैं
किस लिए देर तलक रात की तनहाई में
मेरी पलकों पे तेरे ख़ाब जवाँ होते हैं?
तू मेरा कुछ भी नहीं है, मगर ऐसा क्यूँ है?
भीनी खुशबू के महल दिल में उभर आते हैं
रंग~ओ~बू घर की मुँडेरों पे उतर आते हैं
जैसे गाती हो ग़ज़ल बाद~ए~सबा हौले से
जब तेरी याद के अश′आर निखर आते हैं
तू मेरा कुछ भी नहीं है, मगर ऐसा क्यूँ है?
मुझ को मालूम नहीं दिल की ये हालत क्यूँ है
जो नहीं मेरे लिए उस की ये चाहत क्यूँ है?
वो जगह जिस पे अँधेरों के सिवा कुछ भी नहीं
उस जगह रुक के फ़ना होने में राहत क्यूँ है?
तू मेरा कुछ भी नहीं है, मगर ऐसा क्यूँ है?
एक यक़ीं सदियों की पहचान का लगता क्यूँ है?
और बस तुम से लिपट जाने का शीरीं एहसास
हर घड़ी मेरे खयालों में महकता क्यूँ है?
outro
…मगर ऐसा क्यूँ है?


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