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lirik lagu kalam syndicate - tasavvur

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tasavvur
कोसता हूँ आज भी
आज भी नाराज़गी
बंद हैं वो घड़ियाँ
जो की चलना चाहती लाज़मी

ख्वाहिशें हैं काग़ज़ी
तू होती मेरे पास भी
तो कर भी देता
चाँद को मैं ला ज़मीन

आरज़ू का आसरा
रात ये रंगीन है
यादों में यक़ीन तो
आँसू भी अज़ीज़ है

महफ़िलें मदहोश हैं
ख़ौफ़ से ख़ामोश हैं
दर्द है जो दरमियाँ तो
बात भी बेईमान है

कल्पना कवि की
या हो स्वर्ग का सपन
राग का हो रस
या हो मर्ज़ एक महज़
अलग दौर, अलग भेस
अलग लोग, अलग देश
सादगी के क़िस्सों में ना
होता ज़िक्र प्यार का

जीत के ये दुनिया भी
क्यों तेरे आगे हारता
दर्द के ये रास्ते, छुपा हुआ सुकून है
वक्त के ये फासले, पर सब्र में जुनून है

इस जन्म में ना सही, पर साथ तो ज़रूर है
वक्त के ये फासले, पर सब्र में जुनून है

(वक्त के ये फासले, पर सब्र में जुनून है)


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