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lirik lagu ​gini (ind) & bharath - naadaani

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[gini “naadaani” के बोल]

[verse 1]
आख़िरी लम्हे
ज़ुबां पर थे ठहरे
छुपा रख लूं इन्हें
कहीं गुल में गुम ना जाएँ

[pre~chorus]
आए शरद में कहीं भटके जैसे पत्ते
यादों में भी चुभते हैं ये हटके
छोड़ इन्हें आओ, अब ना सताओ इन्हें
बताओ बस ये

[chorus]
तुम क्यों गएँ (क्यों गएँ, क्यों गएँ)
बताया नहीं (नहीं, नहीं)
रोका समय (समय, समय)
दिखोगे कहीं
थी ये नादानी, नादानी
नादानी, नादानी

[verse 2]
आख़िरी पन्ने
लिखने जो थे मन में
थे वो कड़वे
हक़ीक़त ना हो जाएँ
[pre~chorus]
शरद में कहीं भटके जैसे पत्ते
यादों में भी चुभते हैं ये हटके
छोड़ इन्हें आओ, अब ना सताओ इन्हें
बताओ बस ये

[chorus]
तुम क्यों गएँ (क्यों गएँ, क्यों गएँ)
बताया नहीं (नहीं, नहीं)
रोका समय (समय, समय)
दिखोगे कहीं
नादानी, नादानी
नादानी, नादानी

[bridge]
(नादानी) अब कुछ ना रहा, मैं बंजर ज़मीं
(नादानी) परवाह है सूखी, आँसु से रची
(नादानी) देखा अनदेखा कर यूँ गुम गई
(नादानी) पर घर ना मिले अगर मैं हूँ यहीं

[outro]
अब कुछ ना रहा, मैं बंजर ज़मीं
परवाह है सूखी, आँसु से रची
देखा अनदेखा कर यूँ गुम गई
पर घर ना मिले अगर मैं हूँ यहीं


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