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lirik lagu dizlaw - kaala teeka (romanized)

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[hook]
साँसें मेरी रूह से ना जाने क्यों अलग हो रही
क्या है मेरा डर, तू ही बता
पूछा मैंने माँ से — माँ ने कहा तुझको नज़र लग गई
काला टीका उसने फिर लगाया

[verse 1]
कब से है दर्द
क़िस्मत अलग — और मैं बंद गली में फँसा
मैंने तो माँगा था साथ
वो कहती — “ये अलग ही दर्जे का किस्सा”
हो गया दिल उदास
अब तकिये के साथ बितती है ठंडी रात
कहते हैं — “ना हो निराश”
जिनके पास है पैसा, और मिलता है प्यार हर बात पर

ना पैसा है, ना सूरत का कोई कमाल
तेरा दिन ही खराब, मेरा कल भी बेहाल
बिना लड़की देखे कटता दिन, ये हाल
और ये सारे ज्ञानी बनते गुरु — अब क्यों दे रहे गाल?

[hook]
साँसें मेरी रूह से ना जाने क्यों अलग हो रही
क्या है मेरा डर, तू ही बता
पूछा मैंने माँ से — माँ ने कहा तुझको नज़र लग गई
काला टीका उसने फिर लगाया
[verse 2]
लातों के भूत भी मानें अब मेरी बातें
झाँकती है ज़िंदगी — पर नहीं हैं कोई साफ़ लकीरें या गवाही साथ में
आधी उम्र निकल गई
दिल की बात कहने में
फिर जब गई कहने —
पता चला वही तो मेरे क्लास में है उसके भाई की जान है

उसकी शोहरत अंदर से शांत
मैं बाहर से चालू — पर दिल में है घाव
वो ज्ञान की देवी, मैं सड़क छाप साहब
और लड़कियाँ उसकी लाइन में
वो भी जो मेरे भाई की रानी — बस, साला!

[bridge]
क्या है ये मनहूस घड़ी या कोई चुनौती?
इसका हल तू ही बता…

[outro]


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