lirik.web.id
a b c d e f g h i j k l m n o p q r s t u v w x y z 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 #

lirik lagu dizlaw - churau nazar (romanized)

Loading...

[hook]
क़दर नहीं हुई जब था वक़्त हाथों में
अब मिला सबक़ — अब मांगता नहीं
पर दिखी क़ब्र
जो देखा ऊपर तो लगे सब कॉम्पेटिटर
नीचे बाकी सब बचे
दाएं~बाएं देखा तो घूरते चेहरे
और मैं बस नज़रें चुरा लूं बेहतर

[verse 1]
वक़्त ज़ाया करूं या सोचता ही रहूं
क्या करना है, किसलिए लड़ूं?
करे जो पैसे वाला काम — क्या वो सहीं है?
या कुछ दूं जिसे मिल जाए सुकून भी वहीं पे?
क्या ज़िंदगी को जीते हैं ऐसे ही खामोशी में
या करूं इसकी भी माँ की …. (तालीम में)?

[bridge 1]
अब सबका इल्ज़ाम ठहरा मुझपे
वक़्त तो मासूम था — उसकी क्या गलती?
मेरी ज़िंदगी कुछ यूं अनोखी
कि समझ नहीं पाया… क्या?

[hook]
क़दर नहीं हुई जब था वक़्त हाथों में
अब मिला सबक़ — अब मांगता नहीं
पर दिखी क़ब्र
जो देखा ऊपर तो लगे सब कॉम्पेटिटर
नीचे बाकी सब बचे
दाएं~बाएं देखा तो घूरते चेहरे
और मैं बस नज़रें चुरा लूं बेहतर
[verse 2]
फ़ोकस मेरा टूटा
चार लोग बोले — “क्यों यूं ही लटका?”
घर पे बोले — “मर जा, निकम्मा!”
फिर पूछे — “कब घर आएगा बेटा?”
इज़्ज़त नहीं, एक कौड़ी की भी
जो खाता हूं वही दिखाते हैं उंगली
सब कुछ करना है — पर कहाँ से शुरू करूं?
यही बात अब भी समझ में नहीं आई पूरी

[bridge 2]
वक़्त भी अब सरकता जा रहा
अब तक कुछ भी नहीं उखाड़ा
कल पे टालते रहे सब कुछ
भविष्य भी अब ठोकरें खा रहा
कल सब साफ़ दिखता था —
पर आज लगा सब समझ आ रहा… क्या?

[hook]
क़दर नहीं हुई जब था वक़्त हाथों में
अब मिला सबक़ — अब मांगता नहीं
पर दिखी क़ब्र
जो देखा ऊपर तो लगे सब कॉम्पेटिटर
नीचे बाकी सब बचे
दाएं~बाएं देखा तो घूरते चेहरे
और मैं बस नज़रें चुरा लूं बेहतर


Lirik lagu lainnya:

LIRIK YANG LAGI HITS MINGGU INI

Loading...