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lirik lagu bharat chauhan - kareeb

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[verse 1]
इतने क़रीब आ जाओ
के तुमको देखने की ख़ातिर
सामने ना होना पड़े
इतने क़रीब आ जाओ

[chorus]
के तुमको देखने की ख़ातिर
सामने ना होना पड़े
बाहों में ना भरना पड़े
आँखों से ना लड़ना पड़े

[verse 2]
जिस्म को आप सिल भी दें इस तरह
से हम मिले
जिस्मों को आप सिल भी दें
इस तरह से हम मिले
कौन क्या पता ना चले
आप में कहाँ, हम धाने

[chorus]
सागरों में जैसे भूल जाएँ नदियाँ
वक़्त में जैसे मिल जाए सदियाँ
लाज में जो कह ना सकूँ
नज़रों से तुम पढ़ना कभी
[verse 3]
लफ़्ज़ों में जो कह ना सकूँ
नज़रों से तुम पढ़ना कभी
ख़ामोशी आवाज़ है, सुन सको तो
क्या बात है

[chorus]
तुमको शाम पसंद है
रंगों में रंग रात
गर्मियों के मौसम
हाथों में कुछ गुलाब

[verse 4]
नसीब यही कर दो
क़रीब यही कर दो
इतने क़रीब आ जाओ
के तुमको देखने की ख़ातिर
सामने ना होना पड़े

[chorus]
इतने क़रीब आ जाओ
के तुमको देखने की ख़ातिर
सामने ना होना पड़े
बाहों में ना भरना पड़े
आँखों से ना लड़ना पड़े
बाहों में ना भरना पड़े
कुछ भी ना करना पड़े


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