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lirik lagu arijit singh - khol de par

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आठ समंदर अपना अम्बर
खोज ले अब तू अपने दम पर
फूंक मार के धूल झाड़ ले
छोड़ छाड़ के सारे छप्पर
आठ समंदर अपना अम्बर
खोज ले अब तू अपने दम पर
फूंक मार के धूल झाड़ ले
छोड़ छाड़ के सारे छप्पर

खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर

रटी रटाई सारी छोड़ो भी दुनियादारी
रटी रटाई सारी छोड़ो भी दुनियादारी
बागी तेवर जो तेरे बोलेंगे सब अनाड़ी
सबको मनाने की तेरी नहीं ज़िम्मेदारी
ऊंचे आसमानों पे लिख दे तू हिस्सेदारी

खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर

बंद घड़ी की भी रुकी हुयी सुई
होती सही दो दफा (होती सही दो दफा)
चुप क्यों है रहना
मन का तू कह ना
रोके चाहे हिचकियां (रोके चाहे हिचकियां)

आठ समंदर अपना अम्बर
खोज ले अब तू अपने दम पर
फूंक मार के धूल झाड़ ले
छोड़ छाड़ के सारे छप्पर

खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर
खोल दे पर, खोल दे पर


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