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lirik lagu anuradha paudwal - param krupalu

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परम कृपा सुरूप है, परम प्रभु श्री राम ।
जन पावन परमात्मा, परम पुरुष सुख धाम ।। १ ।।
सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शान्ति स्वरूप ।

है ज्ञान आनन्द मयी, राम कृपा अनूप ।। २ ।।
परम पुण्य प्रतीक है, परम ईश का नाम ।
तारक मंत्र शक्ति घर, बीजाक्षर है राम ।। ३ ।।
साधक साधन साधिए, समझ सकल शुभ सार ।
वाचक वाच्य एक है, निश्चित धार विचार ।। ४ ।।
मंत्रमय ही मानिए, इष्ट देव भगवान् ।
देवालय है राम का, राम शब्द गुण खान ।। ५ ।।
राम नाम आराधिए, भीतर भर ये भाव ।
देव दया अवतरण का, धार चौगुना चाव ।। ६ ।।
मन्त्र धारणा यों कर, विधि से ले कर नाम ।
जपिए निश्चय अचल से, शक्ति धाम श्री राम ।। ७ ।।
यथा वृक्ष भी बीज से, जल रज ऋतु संयोग ।
पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मन्त्र से योग ।। ८ ।।
यथा शक्ति परमाणु में, विद्युत् कोष समान ।
है मन्त्र त्यों शक्तिमय, ऐसा रखिए ध्यान ।। ९ ।।
ध्रुव धारणा धार यह, राधिए मन्त्र निधान ।
हरि-कृपा अवतरण का, पूर्ण रखिए ज्ञान ।। १० ।।
आता खिड़की द्वार से, पवन तेज का पूर ।
है कृपा त्यों आ रही, करती दुर्गुण दूर ।। ११ ।।
बटन दबाने से यथा, आती बिजली धार ।
नाम जाप प्रभाव से, त्यों कृपा अवतार ।।१२ ।।
खोलते ही जल नल ज्यों, बहता वारि बहाव ।
जप से कृपा अवतरित हो, तथा सजग कर भाव ।। १३ ।।
राम शब्द को ध्याइये, मन्त्र तारक मान ।
स्वशक्ति सत्ता जग करे, उपरि चक्र को यान ।। १४ ।।
दशम द्वार से हो तभी, राम कृपा अवतार ।
ज्ञान शक्ति आनन्द सह, साम शक्ति संचार ।। १५ ।।
देव दया स्वशक्ति का, सहस्र कमल में मिलाप ।
हो सत्पुरुष संयोग से, सर्व नष्ट हों पाप ।। १६ ।।


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