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lirik lagu akhil redhu - shayar

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[akhil redhu “shayar” के बोल]

[verse 1]
चाहे मुझे कभी प्यार न हो, मेरा कोई यहाँ खास न हो
पर जिसपे करूं मैं यकीन, वो चेहरा कभी भी नाकाब न हो
मेरा चाहे बड़ा नाम न हो, महफ़िल में पहचान न हो
बस इतना ही मांगूँ ख़ुदा, “मेहनत जो करूं वो ख़राब न हो”
तुम्हें तो दिखे हर बार बस हार मेरी
गिर के उठा मैं कैसे, तुमको ये दिखता नहीं
काम को मेरे सच्चे लोगों से तारीफ मिले
देके मैं पैसे कभी views को खरीदता नहीं
मुझे सिखाया न करो कैसे बनाने गाने
लिखूं मैं दुःख या मैं सुख अल्फाज़ मेरे
जिन्हें समझना वो समझे एहसास मेरे
सुनने वाले तो मुझे सब धोकेबाज़ मिले
साथ न देना तो फिर करते फ़िक्र क्यों
देके उदारी मेरे काटते हो पर क्यों
देसी मैं बंदा न समझ आए trend नया
बात है दिल की तो मांगते जिस्म क्यों?
बोलूं मैं सच तो समझते घमंड क्यों?
सहलूंगा सब तुम्हें लगा ये भरम क्यों?
हाँ मैं शायर हूँ, हूँ पर हरयाणा का
बिन बात के मचा रहे भासद क्यों?

[chorus]
कोई मुझसा दीवाना नहीं, मैं करता दिखावा नहीं
मैं शायर हूँ, लिखता जो बातें, ज़माना बताता नहीं
कोई मुझसा दीवाना नहीं, मैं करता दिखावा नहीं
मैं शायर हूँ, लिखता जो बातें, ज़माना बताता नहीं
[verse 2]
मैंने ना सोचा था कि ऐसा अंजाम होगा
मेरी लिखाई को दिलवालों का सलाम होगा
मेरा गीत जो भी सुनता repeat पे
वो मेरा अपना नहीं, कोई अनजान होगा
बड़ा तरसा मैं देखने को दिन नया
आंखें थीं नम मेरी ज़ख़्मों से दिल भरा
और आके बोलते ये नकली से लौंडे मुझे
जो बजे गाड़ियों में ऐसा कोई गीत बना
तुम्हें ही शौक होगा दिखावों में जीने का
मेरी कलम में तो सच की सियाही है
तेरे बाप ने दिलाई होगी गाड़ी तुझे
मेरे बाप ने मुझे मेहनत सिखाई है
होने को तीस के, ये फिर भी अकल नहीं
सारी जवानी झक मार के बिताई है
मैंने तो सच कहा, खोल दिए राज सभी
बातों में मेरी, अब ढूंढते बुराई हैं

[chorus]
कोई मुझसा दीवाना नहीं, मैं करता दिखावा नहीं
मैं शायर हूँ, लिखता जो बातें, ज़माना बताता नहीं
कोई मुझसा दीवाना नहीं, मैं करता दिखावा नहीं
मैं शायर हूँ, लिखता जो बातें, ज़माना बताता नहीं


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