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lirik lagu ajjay gosswami - dil ke armaan

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सावन में दिल क्यूं
ये होता है नम
सावन में, दिल क्यूं।
ये होता है, नम।
किस बात, की है।
खुशी, कैसा गम।

तुम्हें भी, ये लगता।
है, कुछ तुम में कम।
तुम्हें भी, ये लगता।
है, कुछ तुम में कम।
जा जा के, याद। आ रहे हो, सनम।

बारिश की बूंदों।
में हरक़त, है ऐसी।
पड़ते ही, बदन पे।
सरसराहट हो वैसी।
दिल के, अरमानों पे।
मरहम के, जैसी।
पर्वत से, ऊँचा।
दूरियों का, सितम।
चल, जीते ही जी लें।
इक और जन्म।
रख दें, मिटा के।
दुनिया के, भरम।
सावन में, दिल क्यूं।
ये होता है, नम।
सावन में, दिल क्यूं।
ये होता है, नम।
किस बात, की है।
खुशी, कैसा गम।

शिखर, से भी ऊँचा।
अजय, तेरा, गम।
ऊंचाई से, गिरने दो सारे वहम।

रोते आँसू, ख़ुद में।
समांने का, हुनर।
सावन ने, कभी ना।
किया, ये ज़िकर।

चल, सीख़ लें।
भीग़ कर, इसमें हम।
झूमें सावन हम में, सावन में हम।

सावन में, दिल क्यूं।
ये होता है, नम।
सावन में, दिल क्यूं।
ये होता है, नम।
किस बात, की है।
खुशी, कैसा गम।
पहाड़ सा ऊँचा
ग़म लेके बैठे हो।
उस ऊंचाई से गिरते
झरने के जैसी।
रोते आंसुओं को
ख़ुद में समा
जाने का हुनर।
सावन के लिए
बात है ज़रा सी।


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