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lirik lagu shankar mahadevan & mame khan – aave re hitchki

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निद्रा में किसने याद कियो रे
निद्रा में किसने याद कियो रे
जगाये सारी रैना रे

पिया जगावे
जिया जगावे
दिया जगावे रे
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
हिच.
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
ओ ओ ओ…
संदेसा आयो ना
चिठिया भी जाई
सावण में सूखे नैना रे
तलैया सुखी
किकर सूखा
भीतर सूखा रे
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
धूप मुंडेरे चढ़ गयो ढोला
जल गयो सारी छाव रे
आंगण पर करू मैं कैसे
तलवे जले मेरे पाँव के
तलैया सुखी
किकर सूखा
भीतर सूखा रे
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…

ओ मेरी जाणिया रे
शाम ढले जो
चाँद चढे तो
फिर न रुलाइयो रे
ओ मेरी जाणिया रे

मेरी जान की सौगंध है
याद न आइयो रे
ओ पिया जगावे
जिया जगावे
दिया जगावे रे
तलैया सुखी
किकर सूखा
भीतर सूखा रे

जाणिया ओ जाणिया
मन तरसे
घन बरसे
मन तरसे घन बरसे रे

मन तरसे… तरसे
घन बरसे… बरसे
बरसे मन घन बरसे रे

ओ मन तरसे
घन बरसे
बदरी सुने ना रे

तलैया सुखी
किकर सूखा
भीतर सूखा रे

आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
आवे रे हिचकी…
हिचकी आवे रे
हिच हिचकी आवे रे
हिचकी आवे रे
आवे रे आवे रे
आवे रे हिचकी
आवे रे हिचकी
जगाये साड़ी रैना रे
तलैया…
कीकर…
भीतर सूखा रे ।


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